Class 9 NCERT Solutions Hindi Chapter 6: Kaka Kalelkar
Kaka Kalelkar Exercise प्रश्न-अभ्यास (मौखिक)
Solution 1
रंग की शोभा ने उत्तर दिशा में लाल रंग ने थोड़े समय के लिए लालिमा फैला दी।
Solution 2
बादल एकदम सफ़ेद कपास की तरह हो गए थे।
Solution 3
लोग आकाश, पृथ्वी, जलाशयों का वर्णन करते हैं।
Solution 4
कीचड़ से कपड़े गन्दे होते हैं, शरीर पर भी मैल चढ़ता है। परन्तु कीचड़ में कमल जैसा फूल भी होता है।
Solution 5
कीचड़ जैसा रंग कला प्रेमी, कलाकार और फोटोग्राफर बहुत पसंद करते हैं। गत्तों दिवारों और वस्त्रों पर भी यह रंग पसंद किया जाता हैं।
Solution 6
नदी के किनारे कीचड़ जब सूख जाता है तो उसमें आड़ी तिरछी दरारें पड़ जाती हैं। वह देखने में बहुत सुन्दर लगता है जैसे सुखाया हुआ हो। कभी-कभी किनारे पर समतल और चिकना फैला कीचड़ भी सुन्दर लगता है।
Solution 7
सूखा कीचड़ जब सूखकर ज्यादा ठोस हो जाए, और तब उसके ऊपर बगुले, पक्षी, गाय, बैल, भैंस, पाड़े, बकरी इत्यादि के पदचिन्ह उस पर अंकित होते हैं, तो वह और भी सुन्दर लगता है।
Solution 8
'पंक' का अर्थ है कीचड़ और पंक् + अज अर्थात् कीचड़ में उत्पन्न अर्थात कमल। पंक से सब घृणा करते हैं। पंकज को सिर माथे पर लगाया जाता है।
Kaka Kalelkar Exercise प्रश्न-अभ्यास (लिखित)
Solution क - 1
कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति नहीं होती क्योंकि लोग ऊपरी सुंदरता देखते हैं। इसे गंदगी का प्रतीक मानते हैं। कोई कीचड़ में नहीं रहना चाहता, न कपड़े, न शरीर गंदा करना चाहता है। कभी किसी कवि ने भी कीचड़ के सौंदर्य के बारे में नहीं लिखा।
Solution क - 2
ज़मीन ठोस होने पर उस पर पक्षी, गाय, बैल, भैंस, पाड़े, बकरी सीगों आदि के पदचिह्न अंकित होते हैं। ऐसा दृश्य लगता है कि यहाँ कोई युद्ध लड़ा गया हो।
Solution क - 3
यह दुर्भाग्य की बात है कि मनुष्य कीचड़ का तिरस्कार करता है। जब मनुष्य को यह भान हो जाता कि उसका अन्न और कई खाद्य पदार्थ कीचड़ में ही उत्पन्न होते हैं तो वह कीचड़ का तिरस्कार नहीं करते।
Solution क - 4
पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की विशेषता है कि बहुत अधिक कीचड़ का होना। यह कीचड़ जमीन के नीचे बहुत गहराई तक होता है। ऐसा कीचड़ गंगा नदी के किनारे खंभात की खाड़ी सिंधु के किनारे पर होता है।
Solution ख - 1
कीचड़ का रंग कलाकारों,चित्रकारों और मूर्तिकारों को खुश करता है। लोग इस रंग को पुस्तकों के गत्तों पर, दिवारों पर, कच्चे मकानों पर पंसद करते हैं। कपड़ों के रंग में भी इसे पंसद किया जाता है।
Solution ख - 2
कीचड़ सूखकर टुकड़ों में बँट जाता है, उसमें दरार पड़ जाती है। इनका आकार टेढ़ा-मेढ़ा होने से सुखाए हुए खोपरों जैसे सुन्दर लगते है। समतल किनारों का कीचड़ भी सूखता है तो बहुत सुन्दर लगता है क्योंकि इस पर पशु पक्षियों के पैर के चिह्न बन जाते हैं, जो बहुत सुन्दर लगते हैं। ऐसा दृश्य लगता है कि यहाँ कोई युद्ध लड़ा गया हो।
Solution ख - 3
सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदियों के किनारे दिखाई देता है। कीचड़ जब थोड़ा सूख जाता है तो उस पर छोटे-छोटे पक्षी बगुले आदि घूमने लगते हैं। कुछ अधिक सूखने पर गाय, भैंस, भेड़, बकरियाँ भी चलने-फिरने लगते हैं। कीचड़ सूखकर टुकड़ों में बँट जाता है, उसमें दरार पड़ जाती है। इनका आकार टेढ़ा-मेढ़ा होने से सुखाए हुए खोपरों जैसे सुन्दर लगते है। ऐसा दृश्य लगता है कि यहाँ कोई युद्ध लड़ा गया हो। ये सारा दृश्य बहुत सुन्दर लगता है। कभी-कभी किनारे पर समतल और चिकना फैला कीचड़ भी सुन्दर लगता है।
Solution ख - 4
कवि केवल बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं आंतरिक सौंदर्य की ओर उनका ध्यान नहीं जाता। 'पंक' का अर्थ है कीचड़ और पंक् + अज अर्थात कीचड़ में उत्पन्न अर्थात् कमल। पंक से सब घृणा करते हैं। पंकज को सिर माथे पर लगाया जाता है। वे कमल को अपनी रचना में रखते हैं परन्तु पंक को अपनी रचना में नहीं लाते हैं। वे प्रत्यक्ष सोंदर्य की प्रशंसा करते हैं परन्तु उसको उत्पन्न करने वाले कारकों का सम्मान नहीं करते। कवियों का ऐसा दृष्टिकोण उनकी युक्तिशुन्यता को दर्शाता है।
Solution ग - 1
नदी के किनारे कीचड़ जब सूखकर ठोस हो जाता है तो मदमस्त पाडे अपने सींगो से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तब नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है। अर्थात कीचड़ में छपे चिह्न उस युद्ध की सारी स्थिति का वर्णन कर देते हैं।
Solution ग - 2
कवि पंक (कीचड़) से घृणा करते हैं। पंकज (कमल) को सिर माथे पर लगाया जाता है। कवि पंक को अपनी रचना में रखते हैं परन्तु पंक को अपनी रचना में नहीं लाते हैं। यह दुर्भाग्य की बात है कि कवि कीचड़ का तिरस्कार करता है। वासुदेव कृष्ण को कहते है और लोग उसकी पूजा करते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं के उनके पिता वासुदेव को भी पूजें। हीरे को मूल्यवान मानते है तो आवश्यक नहीं के कोयले को भी माने जहाँ हीरा उत्पन्न होता है। मोती को गले में धारण करते है परन्तु उसकी सीप को नहीं। कवि कहते है इस विषय में कवियों से चर्चा करना व्यर्थ हैं।
Kaka Kalelkar Exercise भाषा अध्ययन
Solution 1
जलाशय |
सर, सरोवर, तालाब |
सिंधु |
सागर, समुद्र, रत्नाकर |
पंकज |
नीरज, जलज, कमल |
पृथ्वी |
धरा, भूमि,धरती |
आकाश |
अम्बर, नभ, व्योम |
Solution 2
(क) कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
का - संबंध कारक
(ख) क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?
का - संबंध कारक
ने - कर्ता कारक
(ग) हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।
से - करण कारक
(घ) पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं।
पर - अधिकरण कारक
(ङ) आप वासुदेव की पूजा करते हैं।
की - संबंध कारक
Solution 3
आकर्षक |
आकर्षक दाम मिलने पर किसान ने बिना कुछ सोचे अपनी जमीन बेच दी। |
यथार्थ |
यथार्थ में जीना सीखों। |
तटस्थता |
न्याय करते समय राजा को तटस्थता की नीति अपनानी चाहिए। |
कलाभिज्ञ |
हमारी पाठशाला के वार्षिकोत्सव में कई महान कलाभिज्ञ आते हैं। |
पदचिह्न |
हमें गांधी जी के पदचिह्न पर आगे बढ़ना चाहिए। |
अंकित |
शिवाजी का नाम हमारे देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। |
तृप्ति |
नदी का ठंडा जल पीकर मुसाफिर को तृप्ति हुई। |
सनातन |
इस विश्व में प्रेम ही सनातन है। |
लुप्त |
आज मानवता संसार से धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। |
जाग्रत |
आज भारत का हर गाँव अपने विकास के लिए जाग्रत हो चुका है। |
घृणास्पद |
धूल से सना मनुष्य घृणास्पद प्रतीत होता है। |
युक्तिशून्य |
बहस ना करो, तुम्हारे सारे तर्क युक्तिशून्य हैं। |
वृत्ति |
सागर विनम्र वृत्ति का छात्र है। |
Solution 4
(क) देखते-देखते हिमालय आँखों से ओझल हो गया।
(ख) रात होने से पहले हमें घर पहुँचना चाहिए।
(ग) कमल कीचड़ में से ही पैदा होता है।
Solution 5
(क) तुम घर मत जाओ।
(ख) मोहन कल नहीं आएगा।
(ग) उसे न जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो मत प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगा।
(च) न वह बोला न मैं।